पटना: बिहार सरकार ने फिर से साफ किया है कि 2024 में होने वाले भूमि सर्वेक्षण में किसी की जमीन नहीं ली जाएगी। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के सचिव जय सिंह ने बताया कि सर्वे का मकसद जमीन के कागजातों को दुरुस्त करना है, ताकि भविष्य में कोई विवाद न हो। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे बिना किसी डर के स्व-घोषणा पत्र भरें। बहुत से लोग इस सर्वे को लेकर डरे हुए हैं और उन्हें लगता है कि उनकी जमीन चली जाएगी। इस बारे में जय सिंह ने कहा कि अगर किसी का किसी जमीन पर कानूनी कब्ज़ा है तो उसे कोई नहीं हटा सकता। सर्वे का मकसद सिर्फ कागजातों को दुरुस्त करना है ताकि बाद में विवाद की स्थिति न बने।
हाथ से भी भरा जा सकता है स्व-घोषणा पत्र: सचिव
स्व-घोषणा पत्र को लेकर भी लोगों में भ्रम है। कई लोग इसके लिए अलग-अलग दस्तावेज जुटा रहे हैं, जिसकी वजह से अंचल और अभिलेखागारों में भीड़ लगी रहती है। इस बारे में स्पष्ट करते हुए सचिव ने कहा कि स्व-घोषणा पत्र हाथ से भी भरा जा सकता है और अभी किसी भी दस्तावेज की जरूरत नहीं है। दस्तावेजों की आवश्यकता बाद में पड़ेगी, जिसके लिए लोगों के पास छह से सात महीने का समय होगा।
ऑनलाइन भी हासिल कर सकते हैं जमीन से जुड़े दस्तावेज
उन्होंने बताया कि अगर किसी को जमीन से जुड़े दस्तावेज चाहिए तो वे ऑनलाइन भी प्राप्त किए जा सकते हैं। स्व-घोषणा पत्र जमा करने की कोई समय सीमा नहीं है। लोग एक-दो महीने में इसे जमा करवा सकते हैं। जो लोग राज्य या देश के बाहर रहते हैं, वे इसे ऑनलाइन भी जमा कर सकते हैं।

बिहार में भूमि सर्वेक्षण की प्रक्रिया और इसके विवरण निम्नलिखित हैं:
1. भूमि सर्वेक्षण का उद्देश्य
- संपत्ति की पहचान: भूमि के वास्तविक सीमाओं और अधिकारों की पहचान करना।
- मालिकाना हक: भूमि के मालिकाना हक और भूमि उपयोग के अधिकारों को स्पष्ट करना।
- कृषि और विकास: कृषि योजनाओं और विकास परियोजनाओं के लिए सटीक डेटा प्रदान करना।
2. भूमि सर्वेक्षण की प्रक्रिया
- सर्वेक्षण की तैयारी: पहले से उपलब्ध रिकॉर्ड और मानचित्रों की समीक्षा करना।
- डेटा संग्रहण: भूमि की माप-जोख और सीमा निर्धारित करने के लिए फील्ड पर जाकर डेटा एकत्रित करना।
- मानचित्र निर्माण: एकत्रित डेटा के आधार पर मानचित्र तैयार करना।
- डेटा की जांच: मानचित्र और डेटा की सटीकता की पुष्टि के लिए जांच करना।
- दस्तावेज़ और रिपोर्ट: सर्वेक्षण के परिणामों को दस्तावेज़ और रिपोर्ट के रूप में तैयार करना।
3. सर्वेक्षण के प्रकार
- स्थायी सर्वेक्षण: लंबे समय तक स्थिर भूमि की स्थिति के लिए।
- आस्थायी सर्वेक्षण: विशेष परियोजनाओं या घटनाओं के लिए।
4. प्रमुख विभाग और अधिकारी
- भूमि सुधार विभाग: बिहार में भूमि सर्वेक्षण और सुधार का प्रमुख विभाग।
- सर्वेयर: जो भूमि का माप और मानचित्रण करते हैं।
- असिस्टेंट सर्वेयर: सर्वेयर की सहायता करने वाले अधिकारी।
5. नागरिक सेवाएँ और प्रक्रिया
- सर्वेक्षण आवेदन: भूमि सर्वेक्षण के लिए आवेदन कैसे करें, इसकी प्रक्रिया।
- दस्तावेज़: आवश्यक दस्तावेज़ जैसे कि पूर्व के सर्वेक्षण रिपोर्ट, भूमि स्वामित्व प्रमाणपत्र आदि।
- फीस और शुल्क: सर्वेक्षण सेवाओं के लिए लागू शुल्क और भुगतान विधियाँ।
6. सर्वेक्षण से संबंधित समस्याएँ और समाधान
- विवाद समाधान: भूमि सर्वेक्षण में उत्पन्न होने वाले विवादों का समाधान।
- सुधार और अपील: यदि सर्वेक्षण रिपोर्ट में त्रुटियाँ हैं, तो सुधार और अपील की प्रक्रिया।
7. तकनीकी उन्नति
- सर्वेक्षण तकनीक: आधुनिक तकनीकों का उपयोग जैसे जीपीएस, ड्रोन, और डिजिटल मानचित्रण।
- डेटा प्रबंधन: सर्वेक्षण डेटा को संग्रहीत और प्रबंधित करने के आधुनिक तरीके।
8. संसाधन और संपर्क
- आधिकारिक वेबसाइटें: राज्य सरकार और संबंधित विभाग की वेबसाइटों पर उपलब्ध जानकारी।
- संपर्क विवरण: संबंधित अधिकारियों और विभागों से संपर्क करने की जानकारी।
इन बिंदुओं के माध्यम से आप बिहार में भूमि सर्वेक्षण की प्रक्रिया और उससे संबंधित जानकारियों को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं। यदि आपको और विशिष्ट जानकारी चाहिए, तो कृपया बताए !
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