मखाना की खेती….

मखाना एक स्वस्थ भारतीय नाश्ता है जिसकी खेती मुख्य रूप से भारत के बिहार राज्य के मिथिला क्षेत्र में की जाती है। उत्पाद के बीज संसाधित होने के बाद खाने योग्य होते हैं। बीजों को बहुत उच्च तापमान वाली गर्म रेत में डाला जाता है और फिर इसे तला जाता है।

क्या होता है मखाना?

मखाना कमल के बीज को कहा जाता हैं। यह स्वादिष्ट होने के साथ ही सेहतमंद भी होता है। भारत में मखाने का सेवन मुख्यतौर से लोग उपवास के दिनों में फलहार के रूप में करते हैं। लेकिन आप इसे आम दिनों में भी खा सकते है। मखाने सभी उम्र के लोगों के लिए फायदेमंद होता है, यदि इसे सही मात्रा में खाया जाए। एक्सपर्ट हर दिन केवल एक मुट्ठी माखाना खाने की सलाह देते हैं।

बिहार के मिथिला मखाना को केंद्र सरकार द्वारा भौगोलिक संकेत यानी जीआई टैग (GI Tag) से सम्मानित किया गया है। यह अवार्ड बड़े पैमाने पर किसी चीज का उत्पादन करने पर दिया जाता है।

मखाना के क्या फायदे हैं?

एनसीबीआई के अनुसार, मखाने में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी ट्यूमर प्रभाव पाए जाते हैं। इसके अलावा, यह कई खास एल्कलॉइड से भी समृद्ध होता है। इन सभी गुणों के कारण ही मखाने को सेहतमंद माना जाता है।

PubMed में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, मखाना मोटापे से परेशान लोगों के लिए मददगार साबित हो सकता है। दरअसल, मखाना में एथेनॉल अर्क मौजूद होता है, जो शरीर में फैट सेल्स को कंट्रोल करने का काम करता है। इसके अलावा यह कम कैलोरी वाला खाद्य पदार्थ होता है। ऐसे में यदि आप वजन कम कर रहें हैं तो बेफिक्र होकर मखाने का सेवन कर सकते हैं।

मखाना की खेती……

मखाना की खेती या तो जल जमाव वाले क्षेत्र में जिसकी गहराई 4 से 6 फीट हो या फिर खेतों में अन्य फसलों की भाँति इसकी खेती होती है। धान की फसल की भाँति तैयार पौध की रोपनी नये तालाब में की जाती है। इस विधि में 30 से 90 किलोग्राम स्वस्थ मखाना बीज को तालाब में दिसम्बर के महीने में हाथों से छिंटते हैं।

मखाना पौधों में राइजोमेटस तना होता है। इसका राइजोम छोटा, मोटा तथा खड़ा होता है जबकि पर्णकली ऊपर की ओर मुड़ी होती है। इसके फूल पूर्ण, बड़े, एकाकी, चमकदार बैंगनी रंग के लम्बे पुष्पवृन्त ( डण्ठल ) के साथ होते हैं। इसका थैलमस ( अन्तः कक्ष ) गूदेदार तथा प्याले के आकार का होता है ।

जलजमाव वाली भूमि के लिए वरदान है मखाना की खेती…

बिहार में सालों भर पानी के जमाव में बेकार दिखने वाली जमीन मखाना की खेती के लिए उपयुक्त साबित हो रही है.हर साल बाढ़ का दंश झेलने वाले बिहार में जलजमाव वाली जमीन को भी मखाना की खेती उपजाऊ बना देती है.मखाना का पौधा जल के स्तर के साथ ही बढ़ता है.बड़ी जोत वाले किसान अपनी जमीन को मखाना की खेती के लिए लीज पर देने लगे हैं. इसकी खेती से बेकार पड़ी जमीन से अच्छी आय किसानों को हो जाती है.

Search

Social

Facebook

Instagram

Twitter

Proudly powered by WordPress

WhatsApp Group Join Now
Telegram Group Join Now
Instagram Group Join Now